अयोध्‍या राम मंदिर की 20 अद्भुत और अकल्‍पनीय खासियत, देश-दुनिया में बज रहा शिल्‍प और वास्‍तुकला का डंका

 धर्मनगरी अयोध्‍या में राम मंदिर बनने का सपना आखिरकार साकार हो गया है. वास्‍तुकार, शिप्‍लकार के साथ ही सैकड़ों की संख्‍या में मजदूर मंदिर को अंतिम रूप देने में दिन रात जुटे हैं. प्रभु रामलला जहां विराजमान होंगे, उस गर्भ गृह में सोने का दरवाजा भी लगाया जा चुका है. गर्भ गृह को दिव्‍य रूप देने के लिए उसे सजाया जा रहा है. बता दें कि 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा होनी है. इससे पहले श्रीराम जन्‍मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट किसी तरह की कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता है. मंदिर के पहले तल को सजाने-संवारने का काम अंतिम चरण में है. बता दें कि मंगलवार 16 जनवरी से अयोध्‍या के राम मंदिर में पूजन विधि आरंभ हुआ है और 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा की जाएगी.

अयोध्‍या राम मंदिर की खास विशेषताएं, जिनकी चर्चा देश के साथ दुनिया में भी हो रही है -:

मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है.

मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट रहेगी.

मंदिर तीन मंजिला रहेगा. प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट होगी. मंदिर में कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे.

मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप (श्रीरामलला सरकार का विग्रह) तथा प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा.

मंदिर में 5 मंडप होंगे: नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप.

खंभों और दीवारों में देवी देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं.

मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंह द्वार से होगा.

दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी.

मंदिर के चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा. चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी.

परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति और भगवान शिव विराजमान होंगे. इनके लिए मंदिर भी बनाया जाएगा. उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा और दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा.

मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा.

मंदिर परिसर में प्रस्तावित अन्य मंदिर महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी और ऋषिपत्नी देवी अहिल्या को समर्पित होंगे.

दक्षिण-पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णो‌द्धार किया गया है. यहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है.

मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं हुआ है. धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट का इस्‍तेमाल नहीं किया गया है

मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है. इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है.

मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है.

मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे.

25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र (Pilgrims Facility Centre) का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा उपलब्‍ध रहेगी.

मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी.

मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार और स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है. पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा.

अयोध्या राम मंदिर, भारतीय समर्थन और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है जो भगवान राम के जन्म स्थान पर बनाया गया है. 22 जनवरी 2024 को मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी. टूरिज्म के मामले में भी अयोध्या का विकास शानदार रूप में हो रहा है. यही वजहा है कि यहां के रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट का नवीनीकरण किया गया है. अयोध्या के रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर अब अयोध्या धाम रखा गया है. ये सब राम मंदिर के लिए किया गया है. ऐसे में इस भव्य राम मंदिर की खासियत के बारे में तो सब जानना चाहेंगे.